RAJASTHAN KE ABHUSHAN |राजस्थान के आभूषण –

RAJASTHAN KE ABHUSHAN | राजस्थान के आभूषण –

ABHUSHAN – आभूषण को गहना या जेवर भी कहा जाता है जो मानव को सजाने के काम आता है। गहने से मानव की सुंदरता में चार चाँद लग जाते है।

राजस्थानी में एक कहावत है आभूषण भूखे का भोजन है और पेट भरे व्यक्ति का सिणगार है। राजा महाराजाओं के समय से या उससे हजारों वर्ष पहले से ही स्त्री और पुरुष समान रूप से अपनी सुंदरता को भड़ाने के लिए आभूषण का उपयोग किया करते थे। यहा तक की देवी देवताओं को भी कीमती धातु के आभूषण पहनाये जाते है। अमीर लोगो में सोने ,चांदी व गरीब लोगों में मनके और पीतल के आभूषण पहने जाते है।

ABHUSHAN को लेके प्राचीन तथ्य

  • सिन्धुवासी भी आभूषण पहने के शौकीन थे।
  • कालीबंगा ( हनुमानगढ़ ) से काली चूड़ियां प्राप्त हुई है।
  • चहुदड़ो से मनके बनाने का कारखाना प्राप्त हुआ है।
  • रंगमहल से पत्थर – कांच, हड्ड़ी के आभूषण प्राप्त हुए है
  • आभूषणो में सीप, कोड़ी, शंख मोरपंख,हडियाँ , धातु, कीमती पत्थर, मनके आदि काम में लिए जाते थे।

सिर व मस्तक के ABHUSHAN –

चूड़ारत्न, ताविद, मांगटीका, फीणी, गेड़ी, काचर, चूड़ामण, सांकली, तिलकमणी, तिबगट्टो, माँगफूल, मावटी, मैण, मोडियो, मोरमिंडली, सरकयारो, सिंणगारपटी, सेलडौ, सिवतिलक, सोहली, सिरपेच।

  • पतरी – रखड़ी के नीचे माथे के दोनों और तीन – चार इंच चौड़ा सोने का पत्र पतरी कहलाता है।
  • झेला – सोने – चांदी की लड़िया जो कानो के पास बालों में लगाई जाती है झेला कहलाता है।
  1. शीशफूल – सोने की बनी साँकल जिस पर फूल के चित्र बने होते है। यह कानों के पास बालों में लगाई जाती है।
  2. रखड़ी – माँग के आगे के भाग में पहनी जाती है जो सोने से बनी चैन में कीमती पत्थर व नगों की जड़ाई से तैयार की जाती है। यह बोरले के समान होती है। रखड़ी के पीछे लगे सोने के हुक को बगड़ी कहते है।
  3. गोफण – महिलाओं के बालों की छोटी – छोटी लटो में गुथा जाने वाला आभूषण।
  4. बोरला – बेर के आकार में बना सोने का आभूषण जिसके अग्रभाग में डायमंड लगे होते है तथा पीछे एक हुक लगा होता है जिसमे धागा बांधकर माथे व सिर के ऊपर बांधा जाता है।
  5. टीका – सोने से बना हुआ फूल जिस पर डायमंड लगे होते है। टीका को तिलक भी कहते है। महिलाएँ इसे मांग की जगहा लगाती है।
  6. बिंदी – सुहागिन स्त्रियों द्वारा माथे के बीचों – बीच लगाई जाती है, जिसे बिंदी /टिकी कहते है।
  7. मौड़ – शादी के समय दूल्हे के सिर पर बांधा जाता है।
  8. मेमद – महिलाओं द्वारा माथे पर पहनी जाती है।
  9. टिडडी – भलकों – महिलाओं द्वारा मांग भरने के स्थान से थोड़ा नीचे माथे पर पहना जाता है।
  10. सिरमांग – स्त्रियों की मांग भरने की जगह गोल तिल्ली आकार का आभूषण जो चैन से बंधा होता है।
  11. चूड़ारत्न – सिर पर बांधा जाने वाला आभूषण। कुवलयमाला में उद्यदोतंन सूरी ने सिर के आभूषणो को चूड़ारत्न कहा।
  12. गेंड़ी – यह चीलों से बनी गोल चकरी के आकार की होती है जो रखड़ी के पीछे लगाई जाती है।

कान के ABHUSHAN –

चोप, चुनी, बारी, कुड़कली, बाली, कोकरू, खींटली, छैलकडी, झाळ, झेलौ, डुरंगलो, तडूको, पीपलपान, बाळा, बुझली,वेडलो, सुन्दोल, सुरगवाली, माकड़ी, पीपल पत्रा,अंगोदिया, भेला, टॉप्स, पत्ती, सुरलियाँ, झाले, बारेठ, एरन आदि।

  • झुमकी – सोने – चांदी से बना आभूषण जिसके नीचे घुँघरू लगे होते है, झुमकी कहलाती है।
  • लटकन – सोना – चांदी से बना आभूषण जो पतली चैन के समान होती है।
  • टोटी – यह गोल चकरी के समान बना होता है।
  • ओगन्या – यह कानों यह कानों के ऊपरी भाग में पहना जाता है जिसकी जिसकी आकृति पान के पत्तो के समान होती है।
  • मोरुवर – यह मोर के आकार का बना होता है जो कान में लटकाया जाता है।
  • झूमर – झूमर को झुमका भी कहते है। ये उल्टे गोल पिंजरे के सामान होता है। जिसके नीचे चैन लगी होती है।
  • कर्णफूल – फूल के आकार में बना आभूषण जिसमे कीमती पत्थर लगे होते है।
  • कुड़की – छोटे बच्चों के कानों में पहनाया जाने वाला सोने – चांदी का तार।
  • बाली – सोने – चांदी के पतले तारों से बना आभूषण।
  • मुरकी – सोने – चांदी के मोटे तारों से बना आभूषण मुरकी कहलाता है।
  • पीपल – पत्र – पीपल के पत्ते के समान बना यह आभूषण महिलाये कान के ऊपरी हिस्से में पहनती है। यह सोने – चांदी का बना होता है।
  • झेला – सोने या चांदी से बना आभूषण जिसमे दो – तीन साँकल के आकार की लटकन होती है, झेला कहते है। गरासियां महिलाओं का प्रिय आभूषण है।
  • गुड़दा – सोने या चांदी के तार में मोती पिरोकर कान में पहने का आभूषण है।
  • लूंग – छोटी आकृति का बना सोने – चांदी का आभूषण जिसे स्त्री – पुरुष दोनों पहनते है।

नोट – लूंग नाक में भी पहना जाता है लेकिन कान – नाक दोनों आये तब कान ही करना है।

नाक के ABHUSHAN

वारी, कांटा, चूनी, लटकन, चोप, बलनी, कोकौ, खीवण, नकफूल, नथ – बिजली, बुलाक, फीणी, ( मोटा लूंग ), तिल्ली।

  • नथ – यह बायीं नाक में पहनी जाती है जिसमे मोर – मोरनी की आकृति होती है।
  • बेसरी – इसमें नाचते मोर की आकृति होती है जो नाक में पहनी जाती है। बनी – ठनी चित्र में नाइका के नाक में बेसरी पहनाई गई है।
  • लूंग – सोने का बना आभूषण जिसमे नग लगा होता है लूंग कहलाता है। बिना नग का लूंग कांटा कहलाता है।
  • नकेसर – इसे नाक की बाली भी कहते है। कुंवारी लड़कियों द्वारा पहना जाता है। नथ की तरहा बनी छोटी बाली होती है।
  • भँवरा – बड़ी आकृति में बना लॉन्ग होता है जिसे विश्नोई समाज की महिलाये नाक में पहनती है।
  • नथडी / कुड़क – छोटी बच्ची के नाक में सोने – चांदी का तार पहनाया जाता है जिसे नथडी कहते है।

दाँत के ABHUSHAN

  • चूंप – दाँत को खोदकर उसमे सोने की जड़ाई की जाती है जिसे चूंप कहते है।
  • रखन – दाँत पर सोने – चांदी का कवर रखन कहलाता है।
  • मेख – सोने की कील दांत में जड़ी जाती है।

गले के ABHUSHAN

  • बजंटी – सोने के मोतियों को कपडे पर सिलकर उन मोतियों के बीच देवी देवताओ की मूर्ति लगाई जाती है जिसे बजंटी कहते है।
  • हांसली – सोने – चांदी से बना आभूषण जो बीच में से चौकोर तथा किनारों पर पतला होता है उसे हांसली कहते है।
  • हालरा – कपडे पर सोने से ठप्पा लगाकर पाटले के आकार का आभूषण बनाया जाता है जिस पर चित्र बने होते है हालरा कहलाता है।
  • झालरा – सोने – चांदी का बना आभूषण जिसमे घुँघरू बने होते है।
  • चंद्रहार – पांच – सात लड़ियों का हार चन्द्रहार कहलाता है।
  • गलपट्टा – यह हार की आकृती का बना आभूषण होता है। इस आभूषण को तुसी भी कहा जाता है।
  • थमणयो – चीड़ की लड़ियों के मध्य चार अंगुल लम्बी मोगरी की सोने की डंडी लगाकर बनाया गया आभूषण थमणयो कहलाता है।
  • चम्पाकली – चम्पाकली की पत्तियों के समान सोने – चांदी का आभूषण चम्पाकली कहलाता है।
  • हमेल – सोने का आभूषण जो शेखावाटी का प्रसिद्ध है।
  • कंठी – सोने से बनी सांकल जिसके बीच में लॉकेट होता है उसे कंठी कहते है।
  • मांदलिया – काले डोरे में पिरोकर पहना जाने वाला आभूषण जिसकी आकृति ढोलक जैसी होती है।
  • चौकी – गले में पहना जाता है जिस पर देवताओं जिस पर देवताओं की मूर्ति अंकित होती है।
  • मंगलसूत्र – सोने के लॉकेट को काले मोतियों की माला में पिरोकर तैयार किया जाता है। यह सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
  • रामनवमी – सोने से बना होता है जिसके दोनों और मादलिये लगे होते है। इसे नाँवा भी कहते है।
  • आड़ – सोने से बना आभूषण जिसे चौथे फेरे के बाद ननिहाल पक्ष द्वारा दुल्हन को पहनाया जाता है।
  • तुलसी – छोटे – छोटे मोतियों की माला को तुलसी कहते है।
  • ठुसी – टस्सी – नेकलेस की तरह भारी वजन से बना आभूषण।
  • तांती – किसी देवी देवताओं के नाम की।

नोट – तांती हात पर भी बांधी जाती है।

गले के अन्य ABHUSHAN

गले के अन्य ABUSHAN ME मटरमाला, चन्द्रमाला, वैजयन्ती, गलसरी, बजटो, आड़पौत, लॉकेट, तिमणिया, पोत, चन्द्रहार, कंठहार, हांकर, हंसहार, सरी, जंजीर, पँचलड़ी, रानीहार, कंठल, कंठसरी, कांठलियो, खींवली, गलसांकलो, गलहार, झालरों, टेवटा, डोरौ, तखति, तांतणियों, तेवटियों, थालौ, दसमुद्रिका,निम्बोली, निगोदर, निगोदरी, पचमणियो, पाट,बाड़ली, रुचक, हौदल।

बाजु के ABHUSHAN –

  • भुजबन्द – फूल पतियों. से बनी सांकल को भुजबन्द कहते है।
  • बाजूबन्द – दोनों तरफ नोक वाली चूड़ी जिसपे रेशमी रंग बिरंगे फुन्दे लटकाये जाते है।
  • टड़डा – तांबे की छड़ी को सोने का रंग चढ़ाकर बनाया गया आभूषण टड़डा / अणत कहलाता है।
  • बाजू के अन्य आभूषण – चूड़ला, गजरा, हारपान, नवरतन,बट्टा, अणत,बहरखो, बाहुसंगार, आदि।

कलाई के ABHUSHAN

कातरया – कांच की चूड़ियों को कातरया कहते है।

बिल्लोरी – सफेद रंग की चूड़ियों को बिल्लोरी कहते है।

बल्लया – हाथी दांत या रबर की चूड़ियों को बल्लया कहते है।

चूड़ो – लाख या हाथी दांत की चूड़ियों को चूड़ों कहते है।

गोखरू – तिकोने दानों वाला चूड़ा गोखरू कहलाता है।

उतरणी – चांदी के गोखरू को उतरणी कहते है।

ढोपला – चांदी का गोखरू भीनमाल में ढोपला कहलाता है।

पूणची – कलाई पर पहने जाने वाला आभूषण।

मुठ्या – कोहनी तक का चूड़ा मुठ्या कहलाता है।

चणप – एक प्रकार का चूड़ा जो हाथी दांतसे बना होता है जिस पर सोने – चांदी का रंग चढ़ाया जाता है।

आवँला – सेवटा – ठोस चांदी से बना कड़ा जिसे कलाई पर पहना जाता है।

नोट – आवँला पैर में पहना जाता है।

लंगर – लंगर चाँदी के मोटे तारों से बना होता है। जिसे कलाई पर पहना जाता है।

नोट – सिक्खों में निशुल्क दिया जाने वाला भोजन लंगर कहलाता है।

बंगड़ी – सोने चांदी की परत चढ़ी चूड़िया।

गजरा – मोतियों से बना आभूषण।

तांती – देवी देवताओं की होती है।

कलाई के अन्य आभूषण – चूड़ियाँ, चूड़ा, अडकणी, आरसि, कंकण, कंगन, खंजरी, छैलकड़ो, पछेली, बाजूसोसण, लूंब, सुतड़ौ, पट आदि।

कमर के ABHUSHAN

  • कणकती – सोने या चाँदी का आभूषण जिसमे चैन लटकी रहती है, उसे कणकती या कंदौरा कहते है।
  • तगड़ी – चाँदी का बना आभूषण जो कमर में पहना जाता है। तगड़ी में घुँघरू लगे होते है।
  • चौथ – चाँदी से बना चौकोर जालियों का आभूषण जिसमे चैन लगी होती है। इसे पुरुष पहनते है।
  • सटका – सोने चाँदी का बना आभूषण जो घाघरे के नेफे ( नाडा ) में लटकाया जाता है इसमें चाबियाँ लटकाई जाती है।

कमर के अन्य आभूषण – कड़तोड़ों, मेखला, कमरबंद, वसन, करधनी, तगड़ी, जंजीर।

हाथ की अंगुली के ABHUSHAN

अंगुथलों, पवित्री, बिंटी, अंगूठी, छल्ला, मुंदडी, अरसी ( अंगूठे में पहनी जाती है )

  • मुद्रिका – नगीना युक्त बिंटी को मुद्रिका कहते है।
  • हथपान – पांचों उंगलियों व हाथ की हथेली के पीछे तक पहने जाने वाला आभूषण। इसे हथफूल / सोवनपान, खड्डावनों भी कहते है।
  • दामणी – दो अँगुलियों में एक सात पहने जाती है।
  • हथपान / हथफूल – चारों अँगुलियों व अंगूठे में छल्ले के आकार का आभूषण जो कलाई के कड़े से चैन से जुड़ा होता है ये चैन हथेली के पिछले हिस्से से कड़े तक जुडी होती है, हथपान कहलाती है। हथपान शादी में दुल्हन को पहनाई जाती है।

PER के ABHUSHAN

  • आँवल – लहरदार कड़ा आँवल कहलाता है।
  • तोड़ा – रस्सी की तरह गूँथ कर बनाया गया तोड़ा या लंगर कहलाता है।
  • पायल – इसे संकुन्तला या पायजेब भी कहते है यह चाँदी का बना आभूषण होता है जिसमे आभूषण लगे होते है।
  • टणका – इसमें टनक – टनक की आवाज आती है।
  • नेवरी – चाँदी का बना आभूषण जो पायल जैसा होता है।
  • हिरानामी – चाँदी का बना कड़ा जो आदिवासी महिलाओं द्वारा पहना जाता है।
  • कड़ा – ठोस चांदी का बना होता है जिसे वृद्ध महिलाओं द्वारा पहना जाता है।
  • खिलीफांसा – कड़ा जिसे खोल कर पहना जाता है।
  • नकूम – पायल की तरह बना जालीदार आभूषण।

PER की अंगुली के ABHUSHAN

  • बिछुड़ी – छोटी चाँदी से बनी अंगूठी के आकार का आभूषण जिस पर मछली का चित्र होता है, उसे बिछुड़ी / चटकी कहते है।
  • फोलरी – तारों से फूलों की तरह बनाई गई अंगूठी जो पैर की ऊँगली में पहनी जाती है, फोलरी कहलाती है।
  • गोल्या – चौड़े आकार का बना चाँदी का आभूषण जो पैर की अंगुली में पहना जाता है, गोल्या कहलाता है।
  • पगपान – चाँदी का बना आभूषण जो पैर की पांचों उंगलियों में पहना जाता है।

PAIR की अंगुली के अन्य आभूषण – गुठलों, दोलकियो, नखलियो, मच्छी, गोर, छल्ला।

बच्चों के ABHUSHAN

  • कंडुल्या – हाथ – पांव का कड़ा कंडुल्या कहलाता है।
  • झांझरिया/पैंजणी – पाँव में पहना जाता है जिसमे घुँघरू लगे होते है।
  • कणकती – कमर में काला डोरा
  • ताबीज – गले में पहना जाता है।
  • कुड़क -कान में पहना जाता है।
  • नजरया – लाल कपडे में मूंग, कोड़ी, सोने का टुकड़ा बांध कर बच्चे के गले पहनाया जाता है ताकि बच्चे को नजर न लगे तथा फोड़े फुंसी न हो उसे नजरया कहते है।
  • चूड़ियाँ – काले व पिले रंग की होती है।
  • तगड़ी – काले धागे से बना जिसमे घुँघरू लगे होते है।
  • कांठला – चौकोर/ तिकोना / गोल पतियों से बना आभूषण जो गले पहना जाता है।
  • हसली – धातु के मोटे तार को जोड़कर बनाया जाने वाला गोलाकार आभूषण हसली कहलाता है। हसली छोटे बच्चो को हसली खिसकने से बचाती है।

पुरुषो के आभूषण

RAJASTHAN KE ABUSHAN राजस्थान में पुरुषो द्वारा पहने जाने वाले आभूषणो में निम्न आभूषण आते है जिनसे जुड़े हुए प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते है

सिर के ABHUSHAN

  • कलंगी – यह माता पार्वती को प्रतिक माना गया है जो शादी के समय सेहरे पर लगाया जाता है।
  • सिरपेंच – पतले पट्टे जैसा जो साफे के आगे बांधा जाता है।
  • तुर्रा – ये भगवान शिव प्रतीक माना जाता है जो शेहरे पर लगाया जाता है
  • दुगदुगी – पगड़ी पर लगाई जाती है।

कान के आभूषण

  • मुरिकियाँ – ठोस सोने या चाँदी के बने कुड़क।
  • बालियां – सोने की बनी होती है।
  • लौंग – यह सोने या चाँदी का बना होता है जिसमे हिरे लगे होते है।
  • झाले – लटकन जैसे बने होते है।
  • छेलकड़ी – सोने का आभूषण।

गले के आभूषण

  • चौकी – देवी – देवताओं की मूर्तियों के चित्र बने होते है।
  • कंठा – धागे में मोती व रत्न पिरोकर बनाया जाता है।
  • ताबीज – किसी देवी – देवता की आराधना में बनाया जाता है।
  • चैन / पेंडल – सोने का बना होता है।
  • अन्य आभूषण – मादलिया, जंतर, रामनामी आदि।

बाजु के आभूषण – नरमुख, डोरा, भुजबंद, कड़ा।

कलाई के ABHUSHAN

  • चुड़ – दोनों हाथो में पहने जाने वाला कड़ा।
  • ब्रेसलेट – कलाई का आभूषण जो ज्यादातर पुरुषो द्वारा पहना जाता है।
  • कड़ा – ये सोने – चाँदी का बना होता है।
  • हाथ की अंगुली के आभूषण –
  • अरसी – अंगूठे में पहने जाती है।
  • छल्ला – ये गोल रिंग होती है।
  • अंगूठी – सोने चाँदी की बनी होती है जिसमे डायमंड लगा होता है।
  • बिंटी – यह भी हाथ की ऊँगली के आभूषण में आती है।
  • छेलकड़ा – पैर में पहना जाता है यह पैर के आभूषण में आता है।

कमर के आभूषण

चौथ – चाँदी का चौकोर आकृती का बना होता है जिसमे जालिया युक्त जंजीर होती है।

RAJASTHAN KE ABUSHAN FAQs

प्रश्न – सिरपेंच किस से सम्बंधित है ?

उत्तर सिरपेंच एक प्रकार का पतले पट्टे जैसा आभूषण है जो साफे के आगे बांधा जाता है।

प्रश्न – तगड़ी किस से सम्बंधित है ?

उत्तर तगड़ी – काले धागे से बना जिसमे घुँघरू लगे होते है।

प्रश्न फोलरी एक प्रकार का ABHUSHAN है जो कहा पहना जाता है ?

उत्तर फोलरी एक प्रकार अंगूठी है जो महिलाओ द्वारा पैर की ऊँगली में पहनी जाती है।

प्रश्न हथपान ABHUSHAN है ?

उत्तर महिलाओं द्वारा हाथ की अंगुली में पहने जाने वाला आभूषण।

निष्कर्ष –

अगर आप किसी भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे है तो यह एक ऐसा टॉपिक है जिसमे चाहे कोई सा भी एग्जाम हो जैसे एलडीसी , RAS, पटवारी आदि एक ना एक प्रश्न आपको इस टॉपिक से देखने को मिलेगा।

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