Rajasthan Ki Jalwayu or Rituye | राजस्थान की जलवायु व ऋतुएँ –

Rajasthan Ki Jalwayu or Rituye | राजस्थान की जलवायु व ऋतुएँ | Rajasthan Ki Jalwayu | राजस्थान की नदियाँ | अरब सागर की तरफ जाने वाली नदियाँ | राजस्थान की आंतरिक जल प्रवाह वाली नदिया |

Rajasthan Ki Jalwayu

Rajasthan Ki Jalwayu में अगर सबसे पहले बात करे तो राजस्थान KI जलवायु के लिए राजस्थान में मानसून पर निर्भर होती है यहा कभी कभी भयंकर सूखा होता है तो कभी कभी यहाँ बाढ़ के हालात हो जाते है आज हम अपने इस आर्टिकल में राजस्थान की जलवायु को लेकर चर्चा करेंगे। Rajasthan Ki Jalwayu

दक्षिण – पश्चिम मानसून की शाखाएँ – राजस्थान में सूखे व कम बारिश का सबसे बड़ा कारण यह है की बंगाल की खाड़ी से आने वाली शाखा राजस्थान पोहचते – पोहचते अपने जल की मात्रा खोकर लगभग शुष्क हो जाती है।

बंगाल की खाड़ी की मानसूनी हवाओं को स्थानीय भाषा में पुरवा के नाम से जाना जाता है। अरब सागर से आने वाली शाखा की दिशा अरावली के समान्तर अवस्थित होने के कारण कम वर्षा कर पाती है।

Rajasthan Ki Jalwayu ग्रीष्म ऋतू –

इस ऋतु का समय मध्य मार्च से 15 जून तक है सबसे ज्यादा गर्मी मई – जून ME पड़ती है इस समय गर्म हवा चलती है जिसे लू कहा जाता है।

वर्षा ऋतु -Rajasthan Ki Jalwayu

16 जून से ऑक्टूम्बर के प्रथम सप्ताह तक राज्य में दक्षिण – पश्चिमी मानसूनी हवाओं से वर्षा होती है राजस्थान के दक्षिण भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है।

  • राजस्थान में वर्षा का वार्षिक ओसत लगभग 57.5 सेंटीमीटर है।
  • राजस्थान में कुल वर्षा का 90 प्रतिशत भाग दक्षिण – पश्चिमी मानसून से प्राप्त होता है।
  • वर्षा ऋतु में होने वाले दिनों की सर्वाधिक संख्या माउंट आबू में होती है।
  • अगर जिला स्तर की बात करे सर्वाधिक वर्षा होने वाले दिनों की संख्या क्रमश : झालावाड़, बांसवाडा में है और सबसे काम जैसलमेर में है।
  • माउंटआबू ( सिरोही ) – राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला छेत्र है।
  • झालावाड़ – राज्य में अगर सर्वाधिक वर्षा वाले जिले की बात की जाये तो झालावाड़ ( लगभग 100 सेमी वार्षिक वर्षा )वाला जिला है।
  • जैसलमेर – उसके सात ही अगर राज्य में न्यूनतम वर्षा वाले जिले की बात करे तो जैसलमेर ( लगभग 10 सेमी वार्षिक वर्षा ) वाला जिला है।
  • अरब सागरीय मानसूनी हवाओ से राज्य के दक्षिण जिलों में पर्याप्त वर्षा होती है।
  • पश्चिम भाग में सबसे कम वर्षा जैसलमेर के उत्तर – पश्चिम भाग में होती है।
  • श्री गंगानगर – राजस्थान के इस जिले में सूर्य की किरणों का तिरछापन सर्वाधिक होता है।

Rajasthan Ki Jalwayu राजस्थान की नदियाँ

राजस्थान की नदियों में अगर हम बात करे तो सबसे पहले उन नदियों की बात करेंगे जो बंगाल की खाड़ी की तरफ जाने वाली नदियों में शामिल है। इन सब में सबसे पहले बात करेंगे चम्बल नदी, बनास नदी, कोठारी नदी, बेडच नदी आदि।

चम्बल नदी –

  • चम्बल नदी का उदगम स्थल जानापाव की पहाड़ी ( मध्य प्रदेश में विंध्याचल से है )
  • चम्बल नदी के उपनाम – चर्मणवती , कामधेनु , नित्यवाही।
  • चम्बल नदी के राजस्थान में प्रवेश की अगर बात करे तो यह चौराशिगढ़ नामक स्थान से प्रवेश करती है।

समापन – उत्तर प्रदेश के ईटावा जिले में मुरादगंज ( यमुना ) के समीप। कुल लम्बाई 966 किमी है जिसमे से 135 किमी राजस्थान में है। चम्बल का राजस्थान में कुल अपवाह छेत्र 19,500 किलोमीटर है। यह एक मात्र नदी है जो अन्तर्राज्य सीमा बनाती है , यह राजस्थान की एकमात्र बारहमासी नदी है, सर्वाधिक अवनालिका अपरदन होता है।

बनास नदी -Rajasthan Ki Jalwayu

  • बनास नदी के अगर उदगम स्थल की बात करे तो यह राजसमंद जिले में स्थित खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है।
  • बनास नदी के उपनाम – वशिष्ठ, वन की आशा (वरणाशा )
  • बनास नदी पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है।
  • बीगोद ओर माण्डलगढ़ ( भीलवाड़ा ) के बीच बनास, बेडच, मेनाल नदियों का संगम होता है, इस संगम को त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है।

कोठारी नदी

  • राजस्थान में कोठारी नदी का उदगम स्थल दिवेर की पहाड़िया राजसमंद से है।
  • समापन – कोठारी नदी भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाती है।
  • इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयाश किया जा रहा है।

बेडच नदी Rajasthan Ki Jalwayu

  • बेडच नदी का उदगम स्थल गोगुन्दा की पहाड़िया ( उदयपुर ) है।
  • अपने उदगम स्थल से उदयसागर झील तक यह नदी आयड़ नदी के उपनाम से जानी जाती है।

अरब सागर की तरफ जाने वाली नदियाँ

माही नदी – माही नदी का उदगम स्थल – धार मध्य प्रदेश के मालवा के पठार से है
माही नदी के उपनाम – बांगड़ और कांठल छेत्र की गंगा
समापन स्थल – खम्बात की खाड़ी ( गुजरात )
यह नदी तीन राज्यों ( मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान ) में बहती है

  • माही बजाज सागर बांध – बांसवाड़ा जिले में बोरखेड़ा गांव के समीप माही नदी पर बनाया गया है। माहि नदी दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा के नाम से प्रशिद्ध है।
  • यह नदी दक्षिण राजस्थान में मध्य माही का मैदान बनाती है जिसे छप्पन का मैदान कहते है जो बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के बीच स्थित है।
  • बेणेश्वर( डूंगरपुर ) में माही, सोम, जाखम नदियों का त्रिवेणी संगम होता है। इस स्थान पर प्रशिद्ध बेणेश्वर का प्रशिद्ध मेला आयोजित होता है।

लूनी नदी Rajasthan Ki Jalwayu

  • लूनी नदी का उदगम स्थल – नागपहाड़, आनासागर (अजमेर ) से है।
    उपनाम – लवणती, मरुस्थल की गंगा, आधी मीठी आधी खारी। अरावली के पश्चिम में बहने वाली सबसे प्रमुख नदी।
  • बालोतरा – बाड़मेर में स्थित इस स्थान तक लूनी नदी का जल मीठा है, इसके बाद खारा हो जाता है।
  • यह पश्चिम राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है।
  • लूनी नदी मरुस्थलीय छेत्र की एकमात्र समन्वित जलपरवाह प्रणाली है।

साबरमत्ती नदी – साबरमत्ती का उदगम स्थल – उदयपुर है।

  • यह नदी खम्भात की खाड़ी में अपना जल उड़ेलती है।

Rajasthan Ki Jalwayu आंतरिक जल प्रवाह वाली नदिया –

घग्घर नदी

  • उदगम स्थल – कालका के समीप हिमालय की शिवालिक पहाड़िया (शिमला, हिमाचल प्रदेश )
  • समापन स्थल – गंगानगर – हनुमानगढ़ की सीमा
  • इसके लिए यह मान्यता है की यह पौराणिक सरस्वती नदी के स्थान पर बहती है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख केंद्र कालीबंगा का विकाश भी घग्घर नदी के किनारे ही हुआ है।
  • यह राजस्थान में अंत प्रवाह की सबसे लम्बी नदी है।

काकनी नदी

  • उदगम स्थल – कोटारी ( जैसलमेर ) इसको मसूरदी / काकनेय के नाम से भी जाना जाता है।
  • बुझ (भुझ ) झील – इसका निर्माण जैसलमेर में काकनी नदी के द्वारा किया जाता है।

कांटली /कांतली नदी

  • उदगम स्थल – खंडेला की पहाड़िया सीकर से होता है।
  • समापन स्थल – झुंझनू – चूरू सीमा पर होता है।
  • कांटली /कांतली नदी झुंझनू को दो भागो में बाटती है।
  • गणेश्वर सभ्यता का विकाश इसी नदी के तट पर हुआ था।

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