Rajasthan Ki Shinchai Pariyojanaye | राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएं

Rajasthan Ki Shinchai Pariyojanaye | राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएं

सिंचाई की परिभाषा

Rajasthan Ki Shinchai Pariyojanaye – वर्षा की कमी के कारण भूमि को विभिन्न तरीको की समस्यांओ से बचाने के लिए कृत्रिम तरीके से जल पिलाने की प्रक्रिया को सिंचाई करना कहा जाता है।
आजादी के 70 वर्ष बाद भी अगर राजस्थान की बात करे तो राजस्थान आज भी अपनी आधारभुत संरचना की द्रस्टी से भारत के अन्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है।
अगर राजस्थान में कृषि की बात की जाये तो कुल भूमि का 2/3 भाग भू भाग कृषि के लिए वर्षा जल पर निर्भर है। Rajasthan Ki Shinchai Pariyojanaye

कुए एवं नलकूप – राजस्थान में सिंचित छेत्र के 66.39 प्रतिशत भाग कुओं और नलकूपों ( सर्वाधिक जयपुर में ) द्वारा सिंचाई होती है।

RAJASTHAN KI नहरें

  • भारत में सर्वाधिक सिंचाई लगभग 39 प्रतिशत नहरों से होती है।
  • राजस्थान में कुल सिंचित छेत्र का 32.21 प्रतिशत भाग नहरों से सिंचित है।
  • नहरों से सर्वाधिक सिंचाई श्री गंगानगर में होती है।
  • गंगनहर – गंगनहर राज्य की प्रथम सिंचाई परियोजना है, इस नहर का निर्माण 1927 में तत्कालीन बीकानेर महाराजा गंगा सिंह द्वारा करवाया गया।
  • गंगनहर सतलज नदी से फिरोजपुर के निकट हुसैनीवाला से निकली गई है। गंगनहर से सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर जिले में होती है :

Rajasthan Ki Shinchai Pariyojanaye –

1 इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना – इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना राजस्थान की मरू गंगा एवं जीवन रेखा कहलाती है।
सतलज व व्यास नदियों के संगम पर पंजाब में फिरोजपुर के निकट हरिके बैराज का निर्माण (1952) में किया गया। 2 नवम्बर 1984 को इस नदी घाटी परियोजना का पूर्व नाम ‘ राजस्थान नहर ‘ से बदलकर इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना कर दिया गया।

  • राजस्थान फीडर की कुल लम्बाई 204 किमी है जिसका 169 किलोमीटर भाग पंजाब व हरियाणा में तथा राजस्थान से 35 किलोमीटर है। राजस्थान फीडर 204 किमी तथा मुख्य नहर 445 किलोमीटर सहित इन्दिरा गाँधी नहर की लम्बाई 649 किलोमीटर हो गई है। इस नहर परियोजनाओं से निम्न लिफ्ट नहर निकली गई है –
  • कंवरसेन (बीकानेर – लूणकरणसर ), साहबा (गंगानगर व चूरू के लिए ), फलौदी (जोधपुर), गजनेर (बीकानेर ), कोलायत (बीकानेर), पोकरण (जैसलमेर), नवी लिफ्ट नहर निर्माणधीन।
  • बीकानेर – लूणकरणसर लिफ्ट नहर ( कंवर सेन लिफ्ट नहर) – इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना की सबसे बड़ी लिफ्ट नहर है।

सेम की समस्या –

इंदिरा गाँधी नहर छेत्र में सेम ( रिसाव ) की समस्या अधिक है। सेम की समस्या के निदान हेतु जिप्सम का प्रयोग किया जाता है।

चम्बल परियोजना – वर्ष 1953 – 54 में प्रारम्भ इस परियोजना में मध्यप्रदेश के सात राजस्थान का 50 प्रतिशत हिस्सा है।

गाँधी सागर बांध – चम्बल परियोजना के प्रथम चरण में 1959 में मध्य्प्रदेश के चौरासीगढ़ स्थान ( मंदसौर जिला ) के पास रामपुरा भानपुरा के पठारों के बीच निर्मित बांध।

कोटा बैराज बांध – चम्बल परियोजना के प्रथम चरण में निर्मित इस सिंचाई बांध के पास कोटा ताप विधुत घर स्थापित किया गया है।
इस परियोजना के दूसरे चरण में राणा प्रताप सागर बांध व विधुत गृह का निर्माण किया गया है रावत भाटा के समीप।

तीसरा चरण – बोरावास गांव (कोटा) के समीप जवाहर सागर बांध का निर्माण किया गया है। इससे सर्वाधिक सिंचाई लाभ कोटा, बांरा और बूंदी जिलों को मिलता है।

भाखड़ा नांगल परियोजना –

  • भाखड़ा नांगल परियोजना राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना।
  • भाखड़ा नांगल परियोजना भारत की सबसे बड़ी बहुउदेशिय नदी घाटी परियोजना है।

भाखड़ा बांध –

  • सतलज नदी पर निर्मित यह बांध 1963 में राष्ट्र को समर्पित किया गया।
  • यह 226 मीटर ऊँचा होने के सात ही भारत का सबसे ऊँचा बांध भाखड़ा नांगल बांध ही है।
  • भाखड़ा नांगल बांध को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक चमत्कारी विराट वस्तु ‘ की संज्ञा दी।
  • भाखड़ा नांगल परियोजना से हनुमानगढ़ को सर्वाधिक सिंचाई उपलब्ध हुई है।

माही बजाज सागर परियोजना –

  • माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात की साझी परियोजना है
  • जिससे राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और चितोड़गढ़ जिलों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।
  • बांसवाड़ा में बोरखेड़ा नामक स्थान पर निर्मित 3109 मीटर लम्बा बांध जिसे 1983 ई. में निर्मित किया गया।
  • बांसवाड़ा – माही बजाज सागर परियोजना से सर्वाधिक लाभन्वित जिला है।

व्यास परियोजना –

  • व्यास परियोजना पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।

व्यास – सतलज लिंक परियोजना – पंडोह (हिमाचल प्रदेश ) नामक स्थान पर पंडोह बांध तथा व्यास नदी पर पोंग बांध / रणजीत सागर बांध का निर्माण किया गया है।

सिधमुख परियोजना – जिले – हनुमानगढ़ और चूरू। यूरोपियन आर्थिक समुदाय की वित्तीय सहायता से निर्मित।

बीसलपुर परियोजना –

  • बीसलपुर पेयजल परियोजना को 1988-89 में शुरू किया गया।
  • इसमें टोडारायसिंह नगर ( टोंक ) के पास बीसलपुर गांव में बनास नदी पर एक कंक्रीट बांध बनाया गया।

पांचना परियोजना –

  • पांचना परियोजना में करौली के समीप 5 छोटी – छोटी नदियों (भद्रावती ,बरखेड़ा ,अटा ,भैसावट, तथा माची ) के संगम पर पांचना बांध बनाया गया है।
  • पांचना परियोजना बालू मिटटी से राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।

जवाई बांध परियोजना –

  • जवाई बांध परियोजना पाली , जोधपुर जिले से सम्बंधित है।
  • पाली जिले में लूनी की सहायक जवाई पर 1956 में निर्मित बांध परियोजना।
  • जवाई बांध को मारवाड़ का अमृतसरोवर कहा जाता है।
  • सेई बांध – इसका निर्माण उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील में जवाई बांध में पानी की आवक बढ़ाने हेतु किया गया।
  • उम्मेद सागर बांध – जोधपुर में जवाई नदी पर बनाया गया है।
  • मेजा बांध – मेजा बांध भीलवाड़ा के माण्डलगढ़ कस्बे के निकट कोठारी नदी पर 1972 में निर्मित बांध।
  • अजान बांध – अजान बांध भरतपुर जिले में गम्भीरी नदी पर निर्मित है।
  • मोरेल बांध – मोरेल बांध सवाईमाधोपुर के जस्टाना कस्बे के निकट बनास नदी की सहायक नदी मोरेल पर निर्मित बांध।

गुड़गांव नहर –

  • गुड़गांव नहर का निर्माण कार्य 1966 में शुरू होकर 1985 में पूर्ण हुआ।
  • इस नहर का नाम वर्तमान में परिवर्तित करके ‘ यमुना लिंक नहर परियोजना ‘ कर दिया गया है।

तथ्य

बीसलपुर परियोजना राजस्थान की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना और सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। जिसका निर्माण 1988 – 1989 में प्रारंभ हुआ था। इससे दो नहरें भी निकाली गयी है। बीसलपुर परियोजना से अजमेर, जयपुर, टोंक में जलापूर्ति होती है।

प्रश्न – जवाहर लाल नेहरू ने कौनसे बांध को एक चमत्कारी विराट वस्तु की संज्ञा दी ?

उत्तर – भाखड़ा नांगल बांध को

प्रश्न – मारवाड़ का अमृतसरोवर किसे कहा जाता है ?

उत्तर – जवाई बांध को मारवाड़ का अमृतसरोवर कहा जाता है।

प्रश्न – राजस्थान और गुजरात की साझी परियोजना कौन सी है ?

उत्तर – माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात की साझी परियोजना है।

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