RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR |राजस्थान में मेले और त्यौहार

RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR – राजस्थान में मेले और त्यौहार – जब किसी धार्मिक स्थल, मंदिर, झील, नदी पर एक साथ बहुत से लोग धार्मिक दृष्टि से एकत्रित होकर पूजा-पाठ, ध्यान आदि करते है, तो उसे मेला कहते है।

राजस्थान में अलग अलग जगह पर अलग – अलग समय पर भिन्न भिन्न प्रकार के मेलों का आयोजन किया जाता है जिनके सात कई तरह की गठनाये जुडी होती है आज हम हमारे इस आर्टिकल राजस्थान में मेले और त्यौहार में राजस्थान के उन सभी मेलों की बात करेंगे।

(1) अजमेर- (RJ-01) – RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

पुष्कर का मेला – पुष्कर, अजमेर- यह मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भरता है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा/सबसे रंगीन/रंग-विरंगा/ सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों का आगमन वाला मेला है। इस मेले को मेरवाड़ा कुम्भ कहते है। यह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मेला है। इस मेले में ऊँट बिक्री सर्वाधिक होती है। यह मेला दीपदान के लिए प्रसिद्ध है। 2007 ई. में इस मेले पर भारत सरकार ने 2 रु. का डाक टिकट जारी की।

  • बादशाह मेला – ब्यावर, अजमेर- फाल्गुन पूर्णिमा ।
  • तेजाजी मेला- व्यावर, केकड़ी- भाद्रपद शुक्ल दशमी
  • कल्पवृक्ष मेला- मंगलियावास- श्रावण अमावस्या।
  • खाजा साहब का उर्स- अजमेर – रज्जब माह की 1-6 तारीख पंजाब शाह पीर का उर्स-अढ़ाई दिन झोपड़े में।

(2) अलवर (RJ-02)-

  • चंद्रप्रभु मेला- तिजारा अलवर- श्रावण अमावस्या | फाल्गुन शुक्ल सप्तमी व श्रावण सप्तमी
  • नारायणी का मेला- बरवा दूंगरी, अलवर वैशाख शुक्ल एकादशी
  • पांडुपोल मेला- पांडुपोल, अलवर- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पंचमी को हनुमानजी का मेला भरता है।
  • भर्तृहरि मेला- अलवर- भाद्रपद शुक्ल अष्टमी कालबेलिया नृत्य। यह कनफटे नाथ की तीर्थस्थली है।
  • धोलालागढ़ देवी मेला- बहुतुकला- वैशाख शुक्ल एकम से पूर्णिमा
  • बिलारी माता मेला- अलवर- चैत्र अष्टमी
  • चूहड़सिद्ध मेला- शाहपुरा, अलवर- महाशिवरात्री (फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी)
  • यह मेला बानसूर (अलवर) में चैत्र शुक्ल द्वादशी
  • गिरधारीदास मेला – यह मेला बानसूर (अलवर ) में चैत्र शुक्ल द्वादशी को भरता है।
  • जगन्नाथजी मेला- यह मेला अलवर में प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल अष्टमी से त्रयोदशी को भरता है। ओडिशा की तरह यहां की रथ यात्रा प्रसिद्ध है।

( 3 ) बाँसवाड़ा- (RJ-03)-

  • मानगढ़ मेला- मानगढ़ धाम- शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा)
  • घोटिया अम्बा मेला- घोटिया धाम- चैत्र अमावस्या
  • गोपेश्वर मेला- घाटोल- कार्तिक पूर्णिमा
  • अंदेश्वर मेला- बाँसवाड़ा- कार्तिक पूर्णिमा

( 4 ) बाड़मेर- (RJ-04)

  • कलाजी मेला- गोपीनाथ गढ़- आश्विन नवरात्र के प्रथम रविवार
  • सुईया मेला – चौहटन (बाड़मेर) में पौष अमावस्या को यह मेला भरता है। यह मेला चार वर्ष में एक बार भरता है। जिस कारण इसे अर्द्धकुम्भ कहा जाता है।
  • मल्लीनाथ पशु मेला- तिलवाड़ा- चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी। यह राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला है।
  • कनाणा मेला – यह कनाणा (बाड़मेर) में प्रतिवर्ष शीतलाष्टमी के दिन भरता है। यहां मेले में गैर नृत्य किया जाता है।
  • बसंत मेला – यह मेला सिणधारी (बाड़मेर) में प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया को भरता है।
  • नाकोड़ा मेला- नाकोड़ा- नाकोड़ा- पौष कृष्ण दशमी
  • विरातरा मेला- चौहटन- माघ शुक्ल त्रयोदशी, भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी।
  • थार समारोह – बाड़मेर- चैत्र शुक्ल षष्ठी
  • कपालेश्वर महादेव मेला- चौहटन- मरूस्थल का कुंभ
  • खेड़ा मेला- बालोतरा- भाद्रपद शुक्ल अष्टमी-नवमी

( 5 ) भरतपुर- (RJ-05)RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • गंगा दशहरा मेला – ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी – कामां, भरतपुर ।
  • ब्रज यात्रा मेला – माघ कृष्ण द्वादशी से माघ शुक्ल पंचमी- डीग, भरतपुर ।
  • भोजन थाली मेला – भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा कामां
  • गरूड़ मेला कार्तिक शुक्ल तृतीया- बंशी पहाड़पुर
  • जसवंत पशु मेला – आश्विन शुक्ल पंचमी से भरतपुर पूर्णिमा
  • बजरंग पशु मेला – आश्विन शुक्ल द्वितीया से अष्टमी-बजरंग
  • बसंती पशु मेला – माघ अमावस्या से शुक्ल पंचमी – रूपवास
  • हीरामन बाबा मेला – भाद्रपद व वैशाख शुक्ल चतुर्थी-नगला जहाज

(06) भीलवाड़ा- (RJ-06)

  • तिलस्वा महादेव मेला – महाशिवरात्री (फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी- तिलस्वा, मांडलगढ़, भीलवाड़ा
  • फूलडोल मेला – चैत्र कृष्ण एकम से पंचमी – शाहपुरा, भीलवाड़ा
  • धनोप माता मेला – चैत्र शुक्ल एकम से दशमी- धनोप भीलवाड़ा
  • सवाई भोज मेला – भाद्रपद शुक्ल अष्टमी – आसींद, भीलवाड़ा

( 07 ) बीकानेर- (RJ-07)

  • चनणी चेरी मेला- फाल्गुन शुक्ल सप्तमी – देशनोक, बीकानेर
  • Kapil Muni Ka Mela- कार्तिक पूर्णिमा कोलायत, बीकानेर।
  • Kapil Muni सांख्य दर्शन K प्रणेता थे।
  • करणी माता मेला- नवरात्रों में – देशनोक बीकानेर।
  • जम्भेश्वर मेला- फाल्गुन व आश्विन अमावस्या-मुकाम, बीकानेर

( 8 ) बूँदी- (RJ-08)RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • बीजासण माता मेला- नवरात्र – इंद्रगढ़, बूँदी
  • कजली तीज मेला- भाद्रपद कृष्ण तृतीया – बूँदी

( 9 ) चित्तौड़गढ़ – (RJ-(09)

  • मीरा माहोत्सव – शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) – चित्तौड़गढ़
  • मातृकुंडिया मेला- बैशाख पूर्णिमा – राशमी, चित्तौड़गढ़
  • दशहरा मेला- आश्विन शुक्ल एकम से दशमी – निम्बाहेड़ा
  • सांवलियाजी मेला- चैत्र शुक्ल दशमी- बड़ी सादड़ी
  • जौहर मेला- चैत्र शुक्ल एकादशी – चित्तौड़गढ़ दुर्ग

( 10 ) चूरू – (RJ – 10 )-

  • गोगाजी का मेला- भाद्रपद कृष्ण नवमी – ददरेवा
  • श्याम पांडिया मेला- भाद्रपद अमावस्या – तारानगर, चूरू
  • साहवा गुरुद्वारा मेला- कार्तिक पूर्णिमा- साहवा (तारानगर) । यह राजस्थान में सिक्खों का सबसे बड़ा मेला है
  • सालासर- हनुमान जी मेला – चैत्र पूर्णिमा – सालासर (सुजानगढ़)। यहाँ बालाजी जी की एकमात्र दाढी-मूंछ वाली मूर्ति है।

( 11 ) धौलपुर- (RJ-11)RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • बाबू महाराज मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी – सैंपऊ- धौलपुर
  • महादेव मेला- फाल्गुन व श्रावण चतुर्दशी – सैंपऊ – धौलपुर
  • तीर्थराज मेला- भाद्रपद शुक्ल षष्ठी – मचममुंड- धौलपुर

( 12 ) डूंगरपुर- (RJ-12)

  • नीलापानी मेला – कार्तिक पूर्णिमा – डूंगरपुर
  • हड़मतिया मेला- कार्तिक पूर्णिमा- ड्रॅगरपुर
  • बीजवा माता मेला- चैत्र कृष्ण सप्तमी -रामदेवरा
  • वेणेश्वर मेला- माघ पूर्णिमा – नेवटपुरा। यह मेला सोम, माही, जाखम नदी के संगम पर भरता है। जिसे आदिवासियों का कुम्भ कहते हैं।
  • गलियाकोट का उर्स- डूंगरपुर- यह राजस्थान में दाउदी बोहरा संप्रदाय का सबसे बड़ा उर्स है। यह उर्स मोहर्रम की 27 तारीख को भरता है।

( 13 ) गंगानगर- (RJ-13)

  • गणगौर मेला- चैत्र शुक्ल तृतीया – गंगानगर
  • पंपाराम का मेला- फल्गुन (7 दिन) -विजयनगर
  • बुढ्डा जोहड़ मेला- श्रावण अमावस्या -रायसिंहनगर

( 14 ) जयपुर- (RJ-14)RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • संत दादू का मेला- आश्विन शुक्ल नवमी-नरायणा
  • तीज का मेला- श्रावण शुक्ल तृतीया- जयपुर
  • शीतला माता मेला- चैत्र कृष्ण अष्टमी- चाकसू
  • गणगौर – चैत्र शुक्ल तृतीया – जयपुर
  • बाणगंगा मेला- वैशाख पूर्णिमा विराटनगर

(15) जैसलमेर (RJ-15)

  • चुंघी तीर्थ मेला- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – जैसलमेर
  • बाबा रामदेव मेला – भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी-रामदेवरा, रूणेचा।
  • पर्यटन मरू मेला- माघ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा- जैसलमेर

( 16 ) जालौर (RJ-16)

  • शिवरात्रि मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी-जालौर
  • आशापुरी माता मेला- चैत्र कृष्ण एकम- मोदरा
  • शीतला माता मेला- चैत्र शुक्ल सप्तमी – जालौर
  • सेवाड़िया मेला- चैत्र शुक्ल एकादशी- रानीवाड़ा
  • सुंधा माता मेला- वैशाख व भाद्रपद त्रयोदशी से पूर्णिमा -दांतलावास

( 17 ) झालावाड़ – (RJ-17 ) –

  • शिवरात्री मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी- मनोहरथाना-भवानी मंडी
  • बसंत पंचमी मेला- बंसत पंचमी
  • नवरात्र मेला- चैत्र व आश्विन शुक्ल नवरात्र – चौमहला
  • चंद्रभागा पशु मेला- कार्तिक पूर्णिमा- झालरापाटन
  • गोमतीसागर पशु मेला कार्तिक पूर्णिमा झालरापाटन

( 18 ) झुंझुनूँ – (RJ-18 )

  • राणीसती मेला- भाद्रपद अमावस्या-झुंझुनूँ। राजस्थान में सतीमाता का सबसे बड़ा मेला।
  • रामदेवजी का मेला- भाद्रपद शुक्ल दशमी – नवलगढ़
  • नरहड़ पीर का मेला- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी-नरहड्
  • मनसा माता मेला- चैत्र व आश्विन शुक्ल अष्टमी-झुंझुनूँ

( 19 ) जोधपुर- (RJ-19)

  • रामदेवजी मेला- भाद्रपद शुक्ल द्वितीया- मसूरिया भाद्रपद शुक्ल द्वितीया के दिन रामदेवजी का जन्म हुआ था।
  • चामुंडा माता मेला- चैत्र व आश्विन शुक्ल नवमी-मेहरानगढ़ । चामुंडा माता गुर्जर प्रतिहारों की कुलदेवी व राठौड़ों की इष्टदेवी है।
  • खेजड़ली वृक्ष मेला- भाद्रपद शुक्ल दशमी-खेजड़ली। यह विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला है।
  • नागपंचमी मेला- भाद्रपद शुक्ल पंचमी-मंडोर
  • वीरपुरी मेला- श्रावण के अन्तिम सोमवार-मंडौर
  • धींगाागवर बेंतमाह मेला- वैशाख शुक्ल तृतीया- जोधपुर

( 20 ) कोटा- (RJ-20)-

  • गेपरनाथ महादेव मेला- महाशिवरात्रि – रथकांकरा, कोटा
  • दशहरा मेला- आश्विन शुक्ल दशमी कोटा। इस मेले का प्रारम्भ 1895 ई. राव उम्मेदसिंह ने किया था।

( 21 ) नागौर- (RJ-21 )

  • राजस्थान में सर्वाधिक पशु मेले नागौर में भरते हैं।
  • तेजाजी पशु मेला- भाद्रपद शुक्ल दशमी से पूर्णिमा-परबतसर। यह राजस्थान का आय की दृष्टि से सबसे बड़ा मेला है।
  • बलदेव पशु मेला- चैत्र कृष्ण एकम से पूर्णिमा- मेड़तासिटी
  • बाबा रामदेव पशु मेला माघ शुक्ल एकम से पूर्णिमा – नागौर
  • दधिमति माता मेला- चैत्र व आश्विन नवरात्र – गोठ मांगलोद
  • तारकीन का उर्स- राज्य का दूसरा सबसे बड़ा उर्स है।

( 22 ) पाली (RJ-22)

  • शीतला माता मेला- चैत्र कृष्ण अष्टमी – सोजत
  • परशुराम महादेव मेला श्रावण शुक्ल षष्ठी-सप्तमी – देसूरी
  • रामदेवजी मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी रायपुर
  • गोरिया गणगौर मेला- शरद पूर्णिमा-
  • दशहरा मेला- आश्विन शुक्ल दशमी
  • निंबो का नाथ मेला- वैशाख पूर्णिमा
  • वरकाना मेला- पौष शुक्ल दशमी- वरकाना। यह मेला जैन धर्म का है।
  • सोनाड़ा खेतलाजी का मेला- चैत्र शुक्ल एकम- सोनाड़ा
  • चोटिला पीर दूलेशाह का मेला- वैशाख शुक्ल सप्तमी कार्तिक कृष्ण एकम हजरत पीर की मजार पर ।

( 23 ) सीकर – (RJ-23)-

  • शांकभरी माता मेला – नवरात्र – उदयपुरवाटी के पास
  • जीण माता मेला- नवरात्र – रेवासा
  • खादृश्यामजी मेला- फाल्गुन शुक्ल एकादशी व द्वादशी-खाटू

( 24 ) सिरोही – (RJ-24)-

  • शीतला माता मेला- चैत्र कृष्ण सप्तमी-सिरोही
  • गौर मेला- वैशाख शुक्ल चतुर्थी-सियावा
  • मारकंडेश्वर मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी व वैशाख पूर्णिमा- अंजारी गाँव
  • गौतमजी का मेला- चैत्र शुक्ल त्रयोदशी-शिवगंज
  • ऋषिकेश महादेव मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी-टमरनी गाँव
  • सारणेश्वर पशु मेला- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से दशमी- सिरोही
  • सारणेश्वर महादेव मेला- भाद्रपद शुक्ल द्वादशी – सारणेश्वर दुर्ग

( 25 ) सवाई माधोपुर (RJ-25)

  • गणेशजी का मेला- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – रणथंभौर दुर्ग
  • चौथ माता का मेला- माघ कृष्ण चतुर्थी- चौथ का बरवाड़ा। चौथ माता कंजर समाज की कुल देवी है।
  • रामेश्वर घाट मेला कार्तिक पूर्णिमा त्रिवेणी रामेश्वर
  • चमत्कारजी मेला शरद पूर्णिमा आलनपुर
  • शिवरात्रि मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी – शिवाड़

(26) टोंक (RJ-26)-

  • कल्याणजी का मेला- श्रावण अमावस्या, वैशाख पूर्णिमा- डिग्गी, टॉक- भाद्रपद शुक्ल एकादशी

( 27 ) उदयपुर (RJ-27)

  • गणगौर मेला- चैत्र शुक्ल तृतीया-उदयपुर
  • विक्रमादित्य मेला- चैत्र अमावस्या-उदयपुर
  • ऋषभदेव मेला- चैत्र कृष्ण अष्टमी-नवमी-उदयपुर
  • एकलिंगजी का मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी-कैलाशपुरी। एकलिंगजी गुहिल वंश के कुल देवता हैं।

(28) बाराँ – (RJ-28)

  • फूलडोल मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी-किशनगंज। यह राजस्थान का दूसरा फूलडोल मेला है। प्रथम फूलडोल मेला शाहपुरा (भीलवाड़ा) में भरता है।
  • सीताबाड़ी का मेला- ज्येष्ठ अमावस्या -सीताबाड़ी (केलवाड़ा)। इसे सहरियों का कुम्भ कहा जाता है।

( 29 ) दौसा- (RJ-29 )

  • बीजासणी का मेला- चैत्र पूर्णिमा – लालसोट
  • गणगौर मेला- चैत्र शुक्ल तृतीया – लालसोट
  • बसंत पंचमी मेला- माघ पंचमी मेला – दौसा
  • श्रीरामपुरा मेला- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी – बसवा
  • मेहंदीपुर बालाजी मेला- चैत्र पूर्णिमा- मेंहदीपुर। यहां भूत प्रेतों का ईलाज होता है।

( 30 ) राजसमंद-(RJ-30)-

  • जन्माष्टमी मेला- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी – नाथद्वारा
  • देवझूलनी मेला- भाद्रपद शुक्ल एकादशी- चार
  • हल्दीघाटी मेला- 21 जून – हल्दीघाटी
  • अन्नकूट मेला- कार्तिक शुक्ल एकम- नाथद्वारा

( 31 ) हनुमानगढ़ – (RJ-31 )-

  • ब्रह्माणी माता मेला- नवरात्र – पल्लू(रावतसर)
  • भद्रकाली मेला- नवरात्र – हनुमानगढ़
  • गोगामेड़ी मेला- भाद्रपद कृष्ण नवमी- गोगामेड़ी (नोहर)

( 32 ) करौली – (RJ-34)

  • महावीरजी मेला- चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से
  • केलादेवी मेला- चैत्र शुक्ल अष्टमी- करौली। यहां लक्खी मेला भरता है।
  • शिवरात्रि पशु मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी – करौली

( 33 ) प्रतापगढ़ – (RJ-35 )

  • गौतमेश्वर मेला- वैशाख पूर्णिमा – अरणोद। गौतमेश्वर मीणाओं के आराध्य देव हैं।

राजस्थान के प्रमुख त्योहार- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन

  • गुलाबी गणगौर नाथद्वारा
  • गणगौर प्रतीक है – पार्वती
  • बिना ईशर की गणगौर – जैसलमेर

1. चैत्र- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • चैत्र कृष्ण प्रथमा – बादशाह मेला (ब्यावर) – इस दिन अकबर ने टोडरमल को दो दिन का बादशाह बनाया।
  • चैत्र कृष्ण प्रथमा – धुलंडी, बादशाह मेला (ब्यावर), फूलडोल मेला (शाहपुरा), लट्ठ मार होली (करौली), पत्थर मार होली (बाड़मेर) गणगौर पूजन प्रारम्भ, राजस्थान की स्थापना इस दिन हुई थी ( 30 मार्च, 1949, बुधवार), आर्य समाज की स्थापना, RSS की स्थापना, गुरूनानक जन्म, झूलेलाल जयंती, महर्षि गोतम जयंती।
  • चैत्र कृष्ण अष्टमी – घुड़ला, बास्योड़ा
  • चैत्र शुक्ल प्रथम – हिन्दू नववर्ष, बसंत नवरात्र प्रारम्भ, विक्रमी संवत व शक संवत प्रारम्भ, सृष्टि की रचना, राम व युधिष्ठर का जन्म।
  • चैत्र शुक्ल द्वितीया – सिंजारा
  • चैत्र शुक्ल तृतीया- गणगौर (शिव-पार्वती) सर्वाधिक गीतों वाला त्योहार जैसलमेर में चैत्रशुक्ल चतुर्थी को बिना ईसर की गणगौर मनाई जाती है क्योंकि चैत्र शुक्ल तृतीय के दिन बीकानेर के शासक ने जैसलमेर पर आक्रमण कर गणगौर की सवारी से ईसर को उठा लिया था। जयपुर, उदयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है।
  • चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन हिण्डोन सिटी, करौली में महावीर जी का मेला भरता था।
  • चैत्र शुक्ल नवमी – रामनवमी (राम का जन्म), सरयू नदी में स्नान, झुंझार जी का जन्म। व्यापारी खाते बदलते हैं।
  • चैत्र पूर्णिमा – हनुमान जयंती व संत पीपा जयंती

2. वैशाख-

  • वैशाख शुक्ल (बीकानेर की स्थापना) तृतीया – आखा तीज, अबूझ सावा, सर्वाधिक बाल विवाह, द्वापर युग का प्रारम्भ, सात अन्न की बीकानेर की स्थापना पूजा।
  • वैशाख कृष्ण तृतीया – धींघा गणगौर (राणा अमरसिंह के समय प्रारम्भ )
  • बैतमार गणगौर – जोधपुर
  • वैशाख पूर्णिमा – बुद्ध पूर्णिमा, गरासियों का कुम्भ (आबू, सिरोही), मातृ कुण्डिया का मेला (रासमी गाँव, चित्तौड़)
    नोट : मातृकुण्डिया मेले को मेवाड़ का हरिद्वार कहते हैं।
  • वैशाख पूर्णिमा- पीपल पूर्णिमा, अबूझ सावा।

3. ज्येष्ठ –

  • ज्येष्ठ अमावस्या – बड़ अमावस्या, सावित्री पूजा, सहरियों का कुम्भ (सीताबाड़ी, बाराँ)
  • ज्येष्ठ शुक्ल दशमी- इस दिन भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाये थे जिस कारण गंगा दशहरा मनाया जाता है।
  • ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी – निर्जला एकादशी

4. आषाढ़ -RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • आषाढ़ कृष्णा एकादशी – योगिनी एकादशी
  • आषाढ़ शुक्ला एकादशी – देवशयनी एकादशी – इस दिन से देवता चार माह के लिए सो जाते हैं जिस कारण सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते है।
    आषाढ़ पूर्णिमा – गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा, कोकिला व्रत पूर्णिमा

5. श्रावण- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • सावन के सोमवार
  • इस महिने में नवसास बहु साथ नहीं रहती है।
  • श्रावण कृष्णा पंचमी – नाग पंचमी – नागों की पूजा
  • श्रावण कृष्ण षष्ठी- ऊबछठ
    इस दिन कुँवारी लड़कियाँ दिनभर खड़ी रहती है। उपवास करती है, शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर भोजन करती है।
  • श्रावण कृष्णा नवमी – निडरी नवमी, नेवला पूजन
  • श्रावण एकादशी- कामिका व्रत, यह विष्णु भगवान का व्रत है।
  • श्रावण अमावस्या – हरियाली अमावस्या
  • वह स्त्री जिसकी संतान जन्म लेते ही मर जाती है वह स्त्री इस दिन व्रत करती है।
  • इस दिन मांगलियावास (अजमेर) में कल्पवृक्ष का मेला व पूजा होती है।
  • श्रावण शुक्ला तृतीया – श्रावणी तीज/छोटी तीज (हरियाली तीज), सिंजारा, पेड़ पर झूला, जयपुर में सवारी।
  • जयपुर की तीज की सवारी प्रसिद्ध है जिसमें सबसे आगे सजे हुये हाथी- घोडे, बीच में तीज माता व अंत में महिलाएँ होती है, जो गीत गाती है।
  • इस दिन से हिन्दू त्योहारों का प्रारम्भ हो जाता है जिस कारण कहते हैं-
    तीज त्यौहार बावड़ी ले डूबी गणगौर
  • तीज का त्यौहार शृंगारिक त्यौहार है, जिस दिन शिव पार्वती की पूजा होती है।
    नोट : बूँदी में कजली तीज का मेला भरता है।
  • श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन, नारियल पूर्णिमा, अमरनाथ यात्रा समाप्त हो जाती है। बर्फ का शिवलिंग बनता है।
    नोट : प्रारम्भ – आषाढ़ पूर्णिमा, अमरनाथ यात्रा ।
  1. भाद्रपद –
  • भाद्रपद कृष्ण तृतीया – नीम पूजा, बड़ी तीज/सातुड़ी तीज/ कजली तीज/ बूढ़ी तीज, इस दिन गौरी/पार्वती का व्रत होता है क्योंकि इसी दिन पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। महिलाएँ सतू खाती है।
  • धमोली – मारवाड़ में महिलाएँ सूर्योदय से पहले कलेवा करती है।
  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे कृष्ण भगवान का जन्म होता है। जिसमें प्रसाद के रूप में ‘पंजीरी’ बांटी जाती है। पंजीरी धनिया, मिश्री, गोटा, मखाना, गोंद डालकर तैयार की जाती है। नाथद्वारा में मेला भरता है।
  • भाद्रपद कृष्ण षष्ठी – हल छठ(बलराम जी का जन्म)
  • भाद्रपद कृष्ण अष्टमी – कृष्ण जन्माष्टमी
  • शक्कर पीर बाबा का उर्स – नरहड़ के पीर चिड़ावा, झुंझुनूँ
  • भाद्रपद कृष्ण नवमी- गोगानवमी
  • भाद्रपद कृष्ण द्वादशी – बछबारस – बछड़े की पूजा
  • भाद्रपद अमावस्या – सतिया अमावस्या
  • भाद्रपद शुक्ल तृतीया – हरतालिका तीज, शिव-पार्वती की पूजा होती है।
  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – गणेश चतुर्थी, इस दिन लड़कों का सिंजारा होता है, इस दिन रणथम्भौर में गणेश का मेला भरता है।
  • भाद्रपद शुक्ल पंचमी – ऋषि पंचमी, इस दिन जाने-अनजाने में हुए पापों को धोने हेतु व्रत होता है। इस दिन माहेश्वरी समाज में रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान व बृहस्पतिजी की पूजा होती है।
  • भाद्रपद शुक्ल अष्टमी- राधाष्टमी, इस दिन सलेमाबाद (अजमेर) में मेला भरता है। इस दिन राधा रानी का जन्म हुआ था।
  • भाद्रपद शुक्ल दशमी- तेजा दशमी, विश्वकर्मा जयंती, खेजड़ली वृक्ष मेला (खेजड़ली गाँव, जोधपुर)
  • भाद्रपद शुक्ल एकादशी – जलझुलनी/देवझुलनी एकादशी (भगवान विष्णु को बेवाण में बैठाकर जलाशय में स्नान करवाया जाता है।) पुरूष व्रत रखते हैं।
    नोट – बेवाण लकड़ी की मन्दिरनुमा आकृति होती है।
  • भाद्रपद चतुर्दशी – अनंत चतुर्दशी, इस दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन होता है। पुरूष व्रत रखते हैं।
    नोट – गणेशजी की स्थापना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को होती है।
  • भाद्रपद पूर्णिमा – श्राद्ध
  1. आश्विन- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR
  • कृष्ण एकम से अमावस्या – श्राद्ध
  • भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक (16 दिन) मालव प्रदेश में माता पार्वती को समर्पित सांझी का त्योहार मनाया जाता है।
  • आश्विन शुक्ल प्रथम – नवरात्रे शारदीय
  • आश्विन शुक्ल अष्टमी – दुर्गाष्टमी, इस दिन कुँवारी कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।
  • आश्विन शुक्ल नवमी- महानवमी, कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।
  • आश्विन शुक्ल दशमी – कोटा में दशहरा का मेला भरता है (भारत में दशहरे का मेला मैसूर का प्रसिद्ध है।) इस दिन विजयादशमी मनायी जाती है तथा खेजड़ी वृक्ष की पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन पाण्डवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी वृक्ष पर छुपा कर एक वर्ष अज्ञातवास काटा था। इस दिन लीलटांस पक्षी के दर्शन शुभ माने जाते हैं।
    नोट : लीलटांस की रचना कन्हैलाल सेठिया ने की थी।
  • दशहरा प्रसिद्ध कोटा, भरतपुर, जयपुर
  • आश्विन पूर्णिमा- शरद पूर्णिमा इस दिन रात को खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रखते हैं जिसे सुबह खाते हैं। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन मारवाड़, महोत्सव मनाया जाता है। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
  1. कार्तिक –
  • कार्तिक कृष्ण चतुर्थी – करवा चौथ का व्रत किया जाता है। चौथ माता का मन्दिर चौथ का बरवाड़ा (सवाईमाधोपुर) में है।
  • कार्तिक कृष्ण अष्टमी- अहोई अष्टमी का व्रत होता है।
  • कार्तिक कृष्ण एकादशी तुलसी पूजन
  • कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी- धनतेरस, धनवंतरी व यमराज की पूजा होती है इस दिन चाँदी खरीदना शुभ माना जाता है।
  • कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी- रूप चौदस, इस दिन हनुमानजी की पूजा होती है। इस दिन छोटी दीपावली या काणी दीपावली मनाई जाती है।
  • कार्तिक अमावस्या – दीपावली, इस दिन भगवान राम का वनवास पूर्ण हुआ था। इस दिन महावीर स्वामी व दयानंद सरस्वती की पुण्य तिथि मनाई जाती है।
  • कार्तिक शुक्ल प्रथमा – गोवर्धन पूजा व अन्नकूट मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली पर उठाया था।
  • अन्नकूट – मिठाई का बड़ा लड्डू बनाते हैं, अन्नकूट नाथद्वारा का प्रसिद्ध है, चावल के लूटने को भीलों की लूट कहते हैं।
  • कार्तिक शुक्ल (यमुना स्नान) द्वितीया भैयादूज, इस दिन यम द्वितीया मनाई जाती है।
  • कार्तिक शुक्ल अष्टमी- इस दिन गोपालाष्टमी व सूर्याष्टमी मनाई जाती है। गाय व बछड़े का पूजन होता है।
  • कार्तिक शुक्ल नवमी- आँवला नवमी/अक्षय नवमी भोजन में आंवला खाया जाता है। आँवला वृक्ष की पूजा होती है।
  • कार्तिक शुक्ल एकादशी – देवउठनी ग्यारस/देवोत्यान/प्रबोधिनी / तुलसी एकादशी मनायी जाती है।
    नोट – देवशयनी एकादशी – आषाढ़ शुक्ल एकादशी
  • कार्तिक पूर्णिमा- इस दिन पुष्कर मेला भरता है जो सबसे बड़ा व रंग-बिरंगा मेला है, इस मेले में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक आते है। इस दिन सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का मेला (कोलायत, बीकानेर) भरता है। इस दिन गुरूनानक जयंती आती है। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस को मारा।
  1. मार्गशीर्ष –
  • मार्गशीर्ष कृष्णा अष्टमी – इस दिन कालभैरव जयंती मनायी जाती है।
  • मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी- इस दिन दत्तात्रेय ऋषि का जन्म हुआ था।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या – इस दिन मनु का जन्म हुआ था। इसे मौनी अमावस्या कहते है।
  • मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी- गीता जयंती मनायी जाती है।
  1. पौष –

• अमावस्या इस दिन चौहटन (बाड़मेर) में सुईया मेला भरता है जिसे अर्द्धकुम्भ की मान्यता है।

  1. माघ-
  • माघ कृष्ण चतुर्थी – तिल चौथ। गणेशजी व चौथ माता को तिल का भोग लगाया जाता है।
  • माघ अमावस्या – मौनी अमावस्या, मनु का जन्मदिवस
  • माघ शुक्ल एकम से नवमी – इन नौ दिनों में गुप्त नवरात्रे किये जाते हैं तथा नौ देवियों की पूजा होती है।”
  1. शैलपुत्री 2. ब्रह्ममचारिणी 3. चंद्रघटा 4. कुष्मांडा 5. स्कंदमाता 6. कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री
  • माघ शुक्ल पंचमी- बसंत पंचमी, सरस्वती पूजन (मंदिर-पिलानी), कामदेव- रात की आराधना, यौवनोत्सव, बसंत का प्रारंभ
  • माघ पूर्णिमा – स्नान

जैसलमेर में मरूमेला भरता है, जिसमें लोकसंगीत, रंग बिरंगी पोशाक, ऊँटों की सजावट की जाती है। इस दिन डूंगरपुर में बेणेश्वर मेला भरता है जिसे आदिवासियों का कुम्भ कहते हैं।

  1. फाल्गुन-
  • फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी – शिवरात्रि – शिवजी का जन्म (शिवजी पार्वती की शादी)
    नोट- महाशिवरात्री पशु मेला करौली
  • फाल्गुन शुक्ल एकम ढूँढ़, इस दिन बच्चे के ननिहाल से खिलौने व कपडे भेजे जाते है।
  • फाल्गुन शुक्ल द्वितीया – इसे फुलेरा दूज कहते है। यह अबूझ सावा है।
  • फाल्गुन शुक्ल एकादशी- पुत्र होने पर पीहर से बच्चे के लिये व वस्त्र खिलौना लाना, जिसे दृढ़ पूजन कहते है।
  • फाल्गुन पूर्णिमा – होली मनायी जाती है। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद था जो विष्णु भगत था जिसे जलाने के लिए हिरण्यकश्यप की बहिन होलिका स्वमं जल गई।
  • देवर भाभी की होली-ब्यावर (अजमेर) की प्रसिद्ध है।
  • लट्ठमार होली महावीर जी (करौली) की प्रसिद्ध है।
  • पत्थर मार होली बाड़मेर की प्रसिद्ध है।
  • भगोरिया होली मेवाड़ की प्रसिद्ध है।
  • सांगोद (कोटा) में होली पर न्हाण महोत्सव मनाया जाता ।
  • मंडोर (जोधपुर) में होली पर रावजी की गैर खेली जाती है।
  • उदयपुर में तलवारों की गैर प्रसिद्ध है।
  • आंगी -बांगी की गैर कनाना व लाखेटा गाँव (बाड़मेर) की प्रसिद्ध है।
    नोट – होलिका के होने वाले पति इलोजी थे।
    नोट – ईला/ईली नृत्य होली पर होता है। संतान प्राप्ति हेतू महिलाएँ करती है। बाड़मेर व जालौर में।

RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR मकर सक्रांति – 14 जनवरी

  • सूर्य मकर राशि में प्रवेश
  • सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश
  • रूठी सास को मनाने की परंपरा
  • इस सास, देवर, जेठ को जगाना
  • पतंग महोत्सव होता है, राजस्थान विकास निगम द्वारा जयपुर में कराया जाता है।
  • पंजाब में लोहड़ी, बीहू-पूर्वी भारत, पोंगल दक्षिण भारत
  • तेरूंडा – सुहासिनिया को 13 वस्तुएँ दान करना।
    नोट – सुहासिनिया बहू-बेटी को कहते है।

जैन धर्म के त्यौहार- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • महावीर जयन्ती (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी)- महावीर स्वामी जैन धर्म के अन्तिम व 24 वें तीर्थंकर हुये जिनका जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था। इस दिन जयपुर में विशाल जुलूस निकाला जाता है।
  • रोट तीज (भाद्रपद शुक्ल तृतीया)- इस दिन जैन अनुयायी रोट व खीर बनाते है।
  • क्षमापणी पर्व (अश्विन कृष्ण प्रथमा)- इस दिन जैन अनुयायी एक-दूसरे के पास जाकर सालभर की गई गलतियों की क्षमा/माफी मांगते है।
  • पर्यूषण पर्व (भाद्रपद कृष्ण द्वादशी से भाद्रपद शुक्ल पंचमी)- यह जैन धर्म का महापर्व कहलाता है। पर्यूषण का अन्तिम दिन ‘संवत्सरी’ कहलाता है।
  • दशलक्षण पर्व- श्वेताम्बर इस पर्व को भाद्रपद कृष्ण एकादशी से पंचमी तथा दिगम्बर इसे भाद्रपद शुक्ल पंचमी से चतुर्दशी तक मनाते है।
  • सोलह कारण- भाद्रपद माह में मनाया जाता है।
  • सुगन्ध दशमी (भाद्रपद शुक्ल दशमी)- इस दिन जैन अनुयायी मंदिर में धूप रखते है तथा व्रत का उद्यापन करते है।
  • रत्नत्रय- यह उत्सव भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है।
  • अष्टाहनिका प्रति चौथे महिने आषाढ़, कार्तिक, फाल्गुन में शुक्ल पक्ष अष्टमी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है।
  • इस दिन नन्दीश्वर द्वीप व सिद्ध चक्र विधान की पूजा की जाती है माना जाता है कि इस दिन देवगण नन्दीश्वर द्वीप के बावन चैत्यालयों के दर्शन करने आते है।

सिक्खों के त्यौहार- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • GURU GOVIND SINGH JAYANTI- पौष शुक्ल सप्तमी KO MANAI JATI है। गुरू नानकजी का जन्म 1469 ई. में तलवंडी (पाक) में हुआ था।
  • लोहड़ी- मकर सक्रांति को मनाई जाती है।
  • वैशाखी- सिक्ख धर्म के 10वें व अन्तिम गुरू, गुरू गोविन्द सिंह ने 13 अप्रैल, 1699 को आनन्दपुर साहेब (पंजाब) में ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की जिसकी खुशी में प्रतिवर्ष 13 अप्रैल को वैशाखी मनाई जाती है।
  • गुरू गोविन्दसिंह जयन्ती- पौष शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है।

ईसाईयों के त्यौहार- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • नववर्ष दिवस- एक जनवरी
  • इस्टर- अप्रैल में में गुड फ्राइडे के बाद रविवार को मनाया जाता है।
  • गुड इंस्टर के रविवार के पूर्व शुक्रवार को ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया। इस दिन ईसा का शहीद दिवस मनाया जाता है।
  • क्रिसमस डे- 25 दिसम्बर, इस दिन ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है।

सिंधी समाज के त्यौहार

  • चेटीचण्ड/झूलेलाल जयन्ती- चैत्र शुक्ल द्वितीया
  • थदड़ी/बड़ी सातम- भाद्रपद कृष्ण सप्तमी- इस दिन सिंधि समाज का ‘वास्येड़ा’ मनाया जाता है।
  • चालसा महोत्सव- प्रतिवर्ष 16 जुलाई से 24 अगस्त।

मुस्लिमों के त्यौहार- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • मुस्लिमों के त्योहार हिजरी संवत पर आते है। हिजरी संवत का प्रारम्भ 622 ई. को हुआ था क्योंकि इस दिन मोहम्मद साहब मक्का छोड़कर मदीना गये थे। हिजरी संवत के एक वर्ष में 354 दिन होते हैं। हिजरी संवत के महिने-(1) मोहर्रम (2) सफर (3) रवि अव्वल (4) रवि उस्मानी (5) जमदियल अव्वल (6) जमादि उस्मानि (7) रज्जब (8) शावान (9) रमजान (10) शव्वाल (11) जिल्काद (12) जिलहिद
  1. मोहरेम- हिजरी संवत के प्रथम महीने मोहर्रम में हजरत मोहम्मद हन माहरम में हजरत मोहम्मद साहब के पुत्र हजरत इमाम हुसैन धर्म विरोधियों से लड़ते हुये कर्बला के मैदान में शहीद हो गये जिसकी स्मृति में ताजिये निकाले जाते हैं। रामसिंह जयपुर का एकमात्र शासक है जिसका ताजिया निकाला जाता है।
  2. इद-उल-मिलाल-दुलनबी- 570 ई. में मोहम्मद साहब का जन्म मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था। जिसकी खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है। इसे बारावफात भी कहते है।
  3. ईद-उल-फितर- रमजान माह में 30 दिन रोजे रखे जाते हैं रोजे पूरे होने पर शव्वाल माह की प्रथम तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। इस दिन सवैया बनाई जाती है। जिस कारण इसे सवैया ईद या मीठी ईद कहते हैं।
  4. ईद-उल-जुहा- हजरत इब्राहीम ने अपने पुत्र इस्माइल की अल्लाह को कुर्बानी दी जिसकी स्मृति में यह त्यौहार मनाया जाता है तथा प्रतीक रूप में बकरे की कुर्बानी दी जाती है। यह त्यौहार जिलहिज 10 तारीख में मनाया जाता है। इसे बकरा ईद भी कहते है।
  5. शबेरात- यह त्यौहार शावान माह की 14 तारीख को मनाया जाता है। माना जाता है। कि इस दिन सभी मनुष्यों के कर्मों की जांच होती है तथा कर्मों के अनुसार भाग्य का निर्धारण किया जाता है।

जनवरी- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस व स्वामी विवेकानन्द जयन्ती
  • 15 जनवरी थल सेना दिवस
  • 19 जनवरी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि
  • 23 जनवरी – सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती
  • 26 जनवरी गणतंत्र दिवस
  • 26 जनवरी 1950 भारत का संविधान लागू हुआ था। आजादी पूर्व (1947 से) 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था जिसकी घोषणा 1929 के लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू ने की। इस दिन पुरस्कारों का वितरण व परेड होती है।
  • 30 जनवरी – शहीद दिवस/गाँधीजी की पुण्यतिथि 30 जनवरी, 1948 नाथूराम गोडसे ने बिड़ला मंदिर में गाँधीजी की हत्या कर दी थी। इस दिन 2 मिनट का मौन रखा जाता है।

फरवरी

  • 21 फरवरी – विश्व मातृभाषा दिवस
  • 22 फरवरी – विश्व स्काउट दिवस

मार्च- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 8 मार्च – विश्व महिला दिवस
  • 22 मार्च – विश्व जल दिवस

अप्रेल

  • 7 अप्रेल – विश्व स्वास्थ्य दिवस
  • 14 अप्रेल – डॉ. अम्बेडकर जयन्ती
  • 22 अप्रेल – विश्व पृथ्वी दिवस

मई

  • 1 मई – विश्व मजदूर दिवस
  • 7 मई – रविन्द्रनाथ टैगोर जयन्ती
  • 9 मई – महाराणा प्रताप जयन्ती
  • 28 मई – वीर दामोदर सावरकर जयन्ती
  • 31 MAY- विश्व तम्बाकू निषेध DIVASH

जून- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 5 जून- विश्व पर्यावरण दिवस
  • 21 जून – अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
  • 26 JUNE – अंतर्राष्ट्रीय MADAK द्रव्य निषेध DIVASH

जुलाई- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 15 जुलाई – विश्व युवा कौशल दिवस
  • 31 जुलाई – मुंशी प्रेमचंद जयन्ती

अगस्त

  • 15 अगस्त – स्वतंत्रता दिवस
  • 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। सांस्कृतिक आयोजन, परेड, पुरस्कार वितरण किये जाते हैं। दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री झण्डा फहराते है तथा भाषण देते है।
  • 20 अगस्त – सद्भावना दिवस
  • 29 अगस्त – राष्ट्रीय खेल दिवस

सितम्बर- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 5 सितम्बर शिक्षक दिवस इस दिन डॉ. राधाकृष्ण की जयन्ती मनाई जाती है।
  • 8 सितम्बर – विश्व साक्षरता दिवस
  • 14 सितम्बर – हिन्दी दिवस
  • 27 सितम्बर – विश्व पर्यटन दिवस

अक्टूबर- RAJASTHAN ME MELE OR TYOHAR

  • 2 अक्टूबर – विश्व अहिंसा दिवस। इस दिन गांधी जयन्ती मनाई जाती है।
  • इस दिन लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती भी मनाई जाती हैं।
  • 5 अक्टूबर – विश्व शिक्षक दिवस
  • 8 अक्टूबर – भारतीय वायुसेना दिवस
  • 16 अक्टूबर – विश्व खाद्य दिवस
  • 24 अक्टूबर – संयुक्त राष्ट्र दिवस
  • 31 अक्टूबर – राष्ट्रीय एकता दिवस इस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल जयन्ती मनाई जाती है।

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