डॉ. भण्डारकर ने कुम्भलगढ़ प्रशस्ति के आधार पर मेवाड़ के गुहिलों को ब्राह्मणवंशी माना है।

अबुल फजल के अनुसार गुहिल ईरान के बादशाह नौशेर खाँ आदिल की सन्तान थे।

कर्नल टॉड ने इन्हें विदेशी माना है जबकि डॉ. ओझा के अनुसार गुहिल प्राचीन क्षत्रियों के वंशज थे और वे विशुद्ध सूर्यवंशीय राजपूत थे।

– माना जाता है कि गुहिल ने इस वंश की स्थापना 566 ई. में की। उसी के नाम पर इसे गुहिल वंश के नाम से जाना गया।

एकलिंगजी मन्दिर - कैलाशपुरी, उदयपुर। मेवाड़ के वास्तविक राजा। मन्दिर बप्पा रावल ने बनवाया।

– अल्लट ने आहड़ को दूसरी राजधानी बनाकर वहाँ वराह मन्दिर का निर्माण करवाया था।

– मुंज के उत्तराधिकारी भोज परमार ने चित्तौड़ पर अधिकार कर त्रिभुवननारायण मन्दिर का निर्माण करवाया तथा नागदा में भोजसर तालाब की स्थापना की।

– जैत्रसिंह के समय सुल्तान इल्तुतमिश की सेना ने नागदा पर आक्रमण कर नगर को नष्ट कर दिया, परन्तु जैत्रसिंह ने भुताला के युद्ध (1222- 28 ई.) में इल्तुतमिश की सेना को पराजित कर भगा दिया।

रतनसिंह समरसिंह का पुत्र तथा मेवाड़ के गुहिल वंश की रावल शाखा का अन्तिम शासक था।